एक पुरानी और जर्जर फैक्ट्री, बाहर से किसी बंद गोदाम जैसी लग रही है। धूल जमी दीवारें, टूटी खिड़कियां और जंग लगी चादरें। लेकिन जैसे ही हमारी टीम अंदर गई, सामने की दुनिया बदल गई। बड़े हॉल्स में कंस्ट्रक्शन मटेरियल के नाम पर फर्जी GST बिल बनाने का धंधा चल रहा था।
देश में हर महीने हजारों करोड़ की GST चोरी के मामले सामने आते हैं। लेकिन दिल्ली का यह मामला कुछ अलग है। यहाँ 50 लाख से लेकर 20 करोड़ तक के बिल तैयार किए जा सकते हैं, बिना असली माल की सप्लाई के।
GST और ITC का फ्रॉड
GST यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स, अप्रत्यक्ष कर है। व्यापारी सामान खरीदते समय GST चुकाता है और बेचते समय ग्राहक से वसूलता है। इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के जरिए वह पहले दिए गए टैक्स को घटा सकता है। इसी सिस्टम की कमजोरी का फायदा उठाकर फर्जी बिलिंग की जा रही है।
पहली मुलाकात – करण गोयल से
हमारी टीम ने वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्री के मालिक करण गोयल से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि:
- फर्जी बिल में सीमेंट, सरिया, डस्ट जैसे आइटम डाल सकते हैं।
- बिल कंपनी के नाम या व्यक्तिगत नाम पर जारी किया जा सकता है।
- 5% कमीशन वाले बिल में पूरी सुरक्षा और नोटिस क्लियर करने की गारंटी।
- 3% कमीशन वाले बिल में कोई सुरक्षा नहीं, क्लाइंट खुद जिम्मेदार।
- 20 करोड़ तक के बिल मैनेज किए जा सकते हैं।
करण ने साफ किया कि वह सिर्फ बिचौलिया नहीं है, बल्कि फर्जी बिल रैकेट का बड़ा खिलाड़ी है। उन्होंने रिश्तेदारों की कंपनियों और shell companies के जरिए बड़े बिल तैयार करने का तरीका बताया।
दूसरी मुलाकात – GST रैकेट के राजीव कुमार झा
हमारी टीम ने मनोज मिश्रा के जरिए राजीव कुमार झा से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि:
- बिल्डिंग मटेरियल के फर्जी बिल 3–3.5% कमीशन पर तैयार किए जाते हैं।
- बिल “Cancel by taxpayer” प्रक्रिया के जरिए बाद में GST डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड से हटाया जाता है।
- कई कंपनियों के नाम से अलग-अलग बिल बांटकर ITC क्लाइंट तक पहुँचाई जाती है।
- बिना असली माल के व्यापारी आसानी से GST रिटर्न फाइल कर सकते हैं।
राजीव के मुताबिक यही तरीका मार्केट में आम है। व्यापारी को बस कमीशन और नकद खर्च सही से एडजस्ट करना होता है।
फर्जी बिल बनाने का तरीका (Modus Operandi)
- बिल असली या shell companies के नाम से जारी किया जाता है।
- “Cancel by taxpayer” के जरिए सरकारी रिकॉर्ड से हटा दिया जाता है।
- क्लाइंट ITC अपने रिटर्न में इस्तेमाल कर सकता है।
- असली माल की सप्लाई जरूरी नहीं।
- लेयरिंग सिस्टम के जरिए क्रेडिट सुरक्षित रहता है।
खतरे और सजा की संभावना
- 5% कमीशन वाले बिल में सुरक्षा और नोटिस क्लियर करने की गारंटी।
- 3% कमीशन वाले बिल में क्लाइंट खुद जिम्मेदार।
- ITC के जरिए करोड़ों की GST चोरी की जा रही है।
विशेष नोट: GST की दरें बदल चुकी हैं। अब 12% और 28% की दरें हटाकर 5% और 18% लागू होंगी।
आगे क्या होगा?
कल की रिपोर्ट में हम बताएंगे कि कैसे एक कॉन्ट्रेक्टर ने GST चोरी का नया तरीका बताया और कैसे सरकार को चूना लगाया जा रहा है।