पंजाब में आई बाढ़ के बाद अब हालात को सामान्य बनाने और लोगों की सेहत की सुरक्षा के लिए पंजाब सरकार लगातार काम कर रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में 14 सितंबर से पूरे राज्य में एक विशेष स्वास्थ्य अभियान (Special Health Campaign) चलाया जा रहा है। इस अभियान का मुख्य मकसद बाढ़ के बाद फैलने वाली बीमारियों को रोकना और प्रभावित लोगों को उनके गांव और घर तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना है।
सरकार की इस मुहिम का असर साफ दिखने लगा है। 16 सितंबर तक जहां 51,000 लोगों ने स्वास्थ्य शिविरों (medical camps) का लाभ लिया था, वहीं सिर्फ एक दिन बाद यानी 17 सितंबर को यह संख्या बढ़कर 1.5 लाख तक पहुंच गई। यह बड़ी बढ़ोतरी बताती है कि सरकार ने जमीनी स्तर पर तेज़ी से काम किया और प्रभावित परिवारों तक राहत पहुंचाई।
2,303 गांवों में चल रहे हैं स्वास्थ्य शिविर
स्वास्थ्य विभाग की टीमें 2,303 गांवों में लगातार कैंप लगा रही हैं। इन कैंपों में
- लोगों की जांच की जा रही है,
- दवाइयां दी जा रही हैं,
- और बाढ़ के पानी से फैलने वाली बीमारियों जैसे बुखार, डायरिया (दस्त), त्वचा संक्रमण आदि का इलाज किया जा रहा है।
इसके अलावा, घर-घर जाकर जांच (door-to-door visits) भी की जा रही है। जहां भी मच्छरों का लार्वा मिलता है, वहां तुरंत छिड़काव (fumigation) और सफाई का काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री मान ने खुद कहा, “जनता की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। कोई भी नागरिक इलाज के बिना न रहे, यह हमारी जिम्मेदारी है।”
बाढ़ के बाद क्यों ज़रूरी है यह अभियान
बाढ़ का पानी उतरने के बाद बीमारियां तेजी से फैल सकती हैं। गंदे पानी और नमी के कारण मच्छर व बैक्टीरिया बढ़ते हैं। इससे डायरिया, मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- खासतौर पर गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और छोटे बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
- इसी वजह से सरकार ने यह तय किया कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं सीधे गांव तक पहुंचाई जाएं और लोगों को समय पर इलाज मिले।
पशुओं की सुरक्षा पर भी फोकस
पंजाब सरकार ने इंसानों के साथ-साथ पशुओं के स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता दी है।
- अब तक 14,780 पशुओं का इलाज किया गया है।
- 48,535 पशुओं को मुफ्त टीकाकरण (vaccination) दिया गया है।
- मृत पशुओं का सुरक्षित निपटारा भी किया जा रहा है ताकि पानी और मिट्टी प्रदूषित न हो।
यह कदम इसलिए जरूरी है क्योंकि अगर पशु बीमार होते हैं या उनके शव खुले में पड़े रहते हैं, तो इससे बीमारियां तेजी से फैल सकती हैं।
सरकार की निगरानी और निर्देश
मुख्यमंत्री मान और स्वास्थ्य मंत्री बालबीर सिंह लगातार इस अभियान की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
- सभी अधिकारियों को यह आदेश दिया गया है कि दवाइयों की कोई कमी न रहे,
- स्वास्थ्य टीमें समय पर गांव-गांव पहुंचें,
- और योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित न रहकर जमीनी स्तर पर लागू हों।
सरकार ने यह भी साफ किया है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में हर घर तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचेंगी और जहां जरूरत होगी, वहां विशेष स्वास्थ्य किट भी दी जाएगी।
अभियान से बढ़ा जनता का भरोसा
सरकार की तेज़ कार्रवाई का असर यह हुआ है कि प्रभावित परिवारों में भरोसा बढ़ा है। पहले जहां लोग इलाज और दवाइयों के लिए परेशान थे, अब उन्हें अपने गांव में ही यह सुविधाएं मिल रही हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार ने इस बार सिर्फ योजना नहीं बनाई, बल्कि उसे पूरी तरह लागू भी किया है।
पंजाब में बाढ़ राहत अभियान अब बड़े स्तर पर चल रहा है।
- 2,303 गांवों में स्वास्थ्य टीमें सक्रिय हैं।
- 1.5 लाख से ज्यादा लोग स्वास्थ्य शिविरों से लाभ ले चुके हैं।
- हजारों पशुओं का इलाज और टीकाकरण हुआ है।
यह अभियान दिखाता है कि सरकार ने इंसानों और पशुओं दोनों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए समग्र योजना बनाई है। अगर यह काम इसी तरह जारी रहा, तो बाढ़ के बाद फैलने वाली बीमारियों को काफी हद तक रोका जा सकेगा और लोग जल्दी सामान्य जीवन में लौट पाएंगे।