Punjab और Haryana High Court Bar Association ने High Court को Sarangpur Shift करने के फैसले को किया खारिज

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने हाई कोर्ट को उसके मौजूदा स्थान से कहीं और शिफ्ट करने के प्रस्ताव को सख्ती से खारिज कर दिया है। सोमवार को हुई जनरल हाउस मीटिंग में सर्वसम्मति (unanimous) से ये फैसला लिया गया कि हाई कोर्ट को न तो सरंगपुर (Sarangpur) और न ही किसी दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जाएगा

मीटिंग में क्या हुआ

22 सितंबर को दोपहर 1 बजे हाई कोर्ट परिसर के मेन बार रूम में बार एसोसिएशन की जनरल हाउस मीटिंग हुई। इस मीटिंग में हाई कोर्ट के भविष्य और बढ़ती space problem पर विस्तार से चर्चा की गई।
लंबी चर्चा के बाद बार एसोसिएशन ने ये स्पष्ट कर दिया कि:

  1. हाई कोर्ट सरंगपुर या किसी भी दूसरी जगह नहीं जाएगा।
  2. बार एसोसिएशन हर संभव प्रयास करेगी कि हाई कोर्ट के पास की forest land को de-reserve कराया जाए ताकि हाई कोर्ट को मौजूदा जगह पर ही बढ़ाया (expand) जा सके।

बार एसोसिएशन का मानना है कि मौजूदा जगह पर ही हाई कोर्ट का रहना वकीलों (legal fraternity), मुकदमेबाजों (litigants) और न्याय व्यवस्था (justice administration) सभी के हित में है।

रिज़ॉल्यूशन की कॉपी भेजी जाएगी

बार एसोसिएशन ने यह भी तय किया कि इस रिज़ॉल्यूशन (resolution) की कॉपी कई अहम लोगों को भेजी जाएगी, जिनमें शामिल हैं:

  • पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और जजेज
  • यूनियन लॉ मिनिस्टर
  • पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्री
  • यू.टी. चंडीगढ़ के एडमिनिस्ट्रेटर

पृष्ठभूमि: कैसे शुरू हुआ ये मामला

हाई कोर्ट में लंबे समय से space की कमी का मुद्दा चल रहा है। इसी वजह से यूटी एडमिनिस्ट्रेशन लगातार हाई कोर्ट को चंडीगढ़ के बाहर, सरंगपुर इलाके में शिफ्ट करने का सुझाव दे रहा था।
हाल ही में हुई एक कोर्ट सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस शील नागू ने बार एसोसिएशन से इस मामले पर अपना औपचारिक रुख (formal resolution) साफ करने को कहा था।

सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन ने भी यूटी एडमिनिस्ट्रेशन की “slipshod” (लापरवाह) कार्यशैली पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि अगर सही इरादे हों तो इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। इस पर चीफ जस्टिस नागू ने कहा,
“Where there is will, there is a way” (जहां इच्छा होती है, वहां रास्ता भी होता है)।

क्या है आगे की रणनीति

अब बार एसोसिएशन इस दिशा में काम करेगी कि

  • फॉरेस्ट लैंड को de-reserve कराया जाए।
  • मौजूदा जगह पर ही हाई कोर्ट का विस्तार (extension) किया जाए।
  • हाई कोर्ट को शिफ्ट करने की किसी भी योजना का विरोध जारी रखा जाए।

यह मामला सिर्फ हाई कोर्ट की बिल्डिंग शिफ्ट करने का नहीं, बल्कि वकीलों, जनता और न्याय व्यवस्था के भविष्य का है। बार एसोसिएशन ने साफ संदेश दे दिया है कि मौजूदा जगह को छोड़कर हाई कोर्ट कहीं और नहीं जाएगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यूटी एडमिनिस्ट्रेशन इस फैसले के बाद क्या कदम उठाता है।

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