पंजाब के पूर्व DGP मोहम्मद मुस्तफा और पूर्व मंत्री रजिया सुल्ताना के बेटे अकील अख्तर (35) की रहस्यमयी मौत का मामला लगातार उलझता जा रहा है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है — अकील की दाहिनी कोहनी से 7 सेंटीमीटर ऊपर एक सिरिंज का निशान मिला है। अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या अकील की मौत ड्रग्स इंजेक्शन से हुई या फिर मामला कुछ और है?
16 अक्टूबर की रात क्या हुआ था?
16 अक्टूबर की देर रात अकील अख्तर अपने पंचकूला सेक्टर-4 वाले घर में बेसुध हालत में मिला।
परिवार उसे रात करीब 9:30 बजे सेक्टर-6 अस्पताल लेकर गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
परिवार का कहना था कि अकील को दवाओं की ओवरडोज हो गई थी।
शव को यूपी के सहारनपुर के हरडा गांव में सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में इंजेक्शन का निशान
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया है कि अकील की कोहनी पर सिरिंज का एक निशान था।
डॉक्टर्स का कहना है कि नशे के आदी लोग शुरुआत में बाएं हाथ से इंजेक्शन लगाते हैं,
लेकिन जब निशान पड़ जाते हैं तो वे दाएं हाथ पर लगाना शुरू करते हैं।
चूंकि अकील के शरीर पर सिर्फ एक ही निशान मिला है, इसका मतलब है कि वह शायद इंजेक्शन से नशे का आदी नहीं था।
पूर्व DGP मुस्तफा का बयान — “18 साल से बीमार था बेटा”
पूर्व DGP मोहम्मद मुस्तफा ने बताया कि उनका बेटा पिछले 18 साल से ‘साइकोटिक डिसऑर्डर’ से पीड़ित था और नशा करता था।
उन्होंने कहा —
“2007 से उसका व्यवहार बदलने लगा था। कई बार वह हिंसक हो जाता था।
एक बार उसने अपनी पत्नी पर हमला किया था, तब मैंने खुद उसे पुलिस के हवाले किया था।
लेकिन एक बाप का दिल पिघल गया, मैंने शिकायत वापस ले ली। लोग अब उसकी मौत को राजनीति से जोड़ रहे हैं, जो गलत है।”
मुस्तफा का कहना है कि उनका बेटा कई बार डी-एडिक्शन सेंटर और पुलिस कस्टडी में भी रहा।
2008 में अकील ने मनाली जाकर ड्रग्स लिया, जिससे उसका ब्रेन डैमेज हो गया था।
वायरल वीडियो और सनसनीखेज आरोप
अकील अख्तर ने 27 अगस्त 2025 को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उसने दावा किया —
“मुझे पता चल गया है कि मेरे पिता (पूर्व DGP) का मेरी पत्नी से अवैध रिश्ता है।
मेरी पत्नी अब उनके साथ रह रही है। परिवार मेरी हत्या की साजिश कर रहा है।”
हालांकि अकील ने यह वीडियो 2 घंटे बाद डिलीट कर दिया,
लेकिन कुछ लोगों ने डाउनलोड कर लिया और अब यह वीडियो वायरल हो गया।
पूर्व DGP मुस्तफा ने इस पर कहा —
“इस वीडियो का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।
जिन लोगों ने इसे पोस्ट किया है, उनके खिलाफ मैंने साइबर थाने में शिकायत दी है।”
17 अक्टूबर को दर्ज हुई शिकायत, 20 अक्टूबर को बनी SIT
अकील की मौत के बाद 17 अक्टूबर को मलेरकोटला के रहने वाले शमशुद्दीन चौधरी ने
पंचकूला पुलिस को लिखित शिकायत दी और प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
उन्होंने बताया कि वे पूर्व मंत्री रजिया सुल्ताना के मायके के पड़ोसी हैं
और परिवार को अच्छी तरह जानते हैं।
इसके बाद 20 अक्टूबर की रात पंचकूला के मनसा देवी थाना में
पूर्व DGP मोहम्मद मुस्तफा, उनकी पत्नी रजिया सुल्ताना,
बेटी और अकील की पत्नी के खिलाफ हत्या और साजिश के आरोप में FIR दर्ज की गई।
मामले की जांच के लिए एक SIT (Special Investigation Team) बनाई गई है,
जिसका नेतृत्व ACP विक्रम नेहरा कर रहे हैं।
टीम में इंस्पेक्टर पृथ्वी, PSI पूजा, SI प्रकाश और साइबर एक्सपर्ट PSI रामास्वामी शामिल हैं।
21 अक्टूबर: शिकायतकर्ता से 6 घंटे पूछताछ
SIT ने 21 अक्टूबर को शिकायतकर्ता शमशुद्दीन से करीब 6 घंटे पूछताछ की।
उसने बताया कि वह रजिया सुल्ताना के मोहल्ले खटीकान, मलेरकोटला में रहता है और
परिवार को लंबे समय से जानता है।
उसने कहा कि पहले उसने इस मामले को फैमिली मैटर मानकर चुप्पी साध ली थी,
लेकिन अकील की मौत की खबर सुनकर उसे पुलिस को शिकायत देना सही लगा।
जांच पर उठ रहे सवाल
- अब तक पूर्व DGP के घर की तलाशी नहीं हुई।
- अकील ने अपने वीडियो में जिस डायरी का जिक्र किया था, वह अब तक बरामद नहीं हुई।
- घटना के दिन घर में क्या हुआ, इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला।
बाहर पंजाब पुलिस का गार्ड जरूर था, लेकिन अंदर क्या चला — यह रहस्य बना हुआ है।
मुस्तफा का पलटवार – “शिकायतकर्ता झूठ बोल रहा है”
मुस्तफा ने बयान दिया कि
“शमशुद्दीन न तो मेरा पड़ोसी है, न ही रिश्तेदार।
वह पहले एक MLA का PA रहा है और उस पर बैंक फ्रॉड का केस भी है।
उसे आम आदमी पार्टी (AAP) से करप्शन के कारण निकाला गया था।”
उन्होंने कहा कि यह सब राजनीतिक साजिश है और लोग उनके परिवार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।
मुस्तफा फैमिली का राजनीतिक बैकग्राउंड
- मोहम्मद मुस्तफा:
1985 बैच के IPS अधिकारी। कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी रहे।
DGP बनने को लेकर विवाद हुआ था और बाद में सुप्रीम कोर्ट तक मामला गया।
2021 में रिटायर हुए और कांग्रेस में सक्रिय हो गए। - रजिया सुल्ताना:
तीन बार विधायक रहीं। 2017 में कैप्टन सरकार में मंत्री बनीं,
बाद में नवजोत सिद्धू की करीबी मानी गईं।
2022 में AAP के उम्मीदवार से चुनाव हार गईं। - पुत्रवधू:
चार साल पहले पंजाब वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन बनी थीं,
जिसकी नियुक्ति भी काफी विवादों में रही थी।
अब नया मोड़ — शिकायतकर्ता के राजनीतिक संबंध
अब इस केस में नया ट्विस्ट आया है।
मलेरकोटला के AAP विधायक डॉ. जमील उर रहमान ने कहा कि
शिकायतकर्ता शमशुद्दीन चौधरी पहले उनका PA (पर्सनल असिस्टेंट) था।
बाद में उस पर करप्शन और पार्टी वर्करों को परेशान करने के आरोप लगे,
जिसके बाद उसे AAP से निकाल दिया गया।
इस खुलासे के बाद केस के पीछे पॉलिटिकल एंगल और गहराता जा रहा है।
सच्चाई अब भी रहस्य
अकील अख्तर की मौत का मामला अब कानूनी, पारिवारिक और राजनीतिक तीनों मोर्चों पर उलझ गया है।
एक तरफ पिता का कहना है कि बेटा मानसिक रूप से बीमार और ड्रग्स का शिकार था,
तो दूसरी तरफ शिकायतकर्ता का दावा है कि परिवार ने साजिश रचकर हत्या की।
फिलहाल SIT ने जांच शुरू कर दी है,
लेकिन जब तक अकील की डायरी, डिजिटल सबूत और मेडिकल रिपोर्ट पूरी तरह सामने नहीं आते,
इस केस की असली सच्चाई रहस्य ही बनी रहेगी।