प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार, 13 सितंबर को मणिपुर का दौरा करने जा रहे हैं। यह उनका पहला दौरा है जब से मई 2023 में राज्य में जातीय हिंसा भड़की थी। इस दौरे को लेकर पूरे राज्य में माहौल गर्म है। जहां कुकी समुदाय इस यात्रा को एक “historic moment” बता रहा है, वहीं नागा संगठन United Naga Council (UNC) और घाटी में सक्रिय मीतई उग्रवादी संगठनों का गठबंधन CorCom (Coordination Committee) पीएम के दौरे का विरोध कर रहा है।
पृष्ठभूमि: मणिपुर में क्या हुआ था
मई 2023 में मणिपुर में कुकी-जो और मीतई समुदायों के बीच बड़े पैमाने पर हिंसा भड़की थी।
- इस हिंसा में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 70,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए।
- हजारों लोग अब भी राहत शिविरों (relief camps) में रह रहे हैं।
- राज्य दो हिस्सों में बंट सा गया है — पहाड़ी इलाके ज्यादातर कुकी और जो समुदाय के नियंत्रण में हैं, जबकि घाटी का बड़ा हिस्सा मीतई समुदाय के प्रभाव में है।
UNC का Trade Embargo
नागा संगठन United Naga Council (UNC) ने 9 सितंबर की रात से “trade embargo” यानी माल ढुलाई और जरूरी सामान की सप्लाई रोक दी।
- यह विरोध मुख्य रूप से केंद्र सरकार के उस फैसले के खिलाफ है जिसमें Free Movement Regime (FMR) को खत्म करने और भारत-म्यांमार सीमा पर border fencing लगाने की योजना है।
- UNC का कहना है कि इससे नागा लोगों की आवाजाही और पारंपरिक व्यापार पर असर पड़ेगा।
- इस वजह से NH-2 और NH-37 जैसे हाईवे पर सैकड़ों ट्रक और टैंकर फँस गए, जिससे पेट्रोल, डीज़ल और जरूरी सामान की किल्लत होने लगी।
हालांकि, 12 सितंबर की शाम 6 बजे से UNC ने इस blockade को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया, ताकि राज्य में पीएम की यात्रा के समय कोई बड़ी परेशानी न हो।
Meitei उग्रवादी समूहों का Total Shutdown
मीतई समुदाय के कई उग्रवादी समूहों का गठबंधन CorCom ने पीएम मोदी की यात्रा के दिन “total shutdown” का ऐलान किया है।
- इसका मतलब है कि 13 सितंबर को सुबह 1 बजे से लेकर पीएम के दौरे के खत्म होने तक बाजार, दुकानें, गाड़ियां और अन्य गतिविधियां पूरी तरह बंद रहेंगी।
- उन्होंने कहा कि इस shutdown से सिर्फ essential services जैसे मेडिकल और इमरजेंसी सेवाओं को छूट मिलेगी।
कुकी-जो समुदाय का समर्थन
वहीं कुकी-जो समुदाय ने पीएम मोदी के इस दौरे का स्वागत किया है।
- Kuki-Zo Council (KZC) ने इसे “rare and historic” अवसर बताया।
- उन्होंने प्रधानमंत्री से अलग प्रशासन (separate administration) की मांग की है, ताकि उनका समुदाय सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सके।
- उनका कहना है कि मौजूदा स्थिति में उनके लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और सरकार को उनके लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
पीएम मोदी की यात्रा का कार्यक्रम
प्रधानमंत्री का यह दौरा सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील है।
- वे सबसे पहले Churachandpur जिला, जो कि कुकी बहुल इलाका है, का दौरा करेंगे।
- यहां वे उन internally displaced persons (IDPs) यानी हिंसा के कारण बेघर हुए लोगों के प्रतिनिधियों से मिल सकते हैं।
- सुरक्षा कारणों और समय की कमी के चलते प्रधानमंत्री सीधे राहत शिविरों में नहीं जाएंगे, बल्कि वहां से जुड़े प्रतिनिधियों से ही मुलाकात करेंगे।
- इसके बाद पीएम इंफाल घाटी में एक बड़ी public rally को संबोधित करेंगे।
- उम्मीद है कि पीएम इस दौरे के दौरान rehabilitation package की घोषणा करेंगे, जिससे विस्थापित लोगों का पुनर्वास हो सके और राज्य में शांति बहाल की जा सके।
सुरक्षा इंतजाम और चुनौतियां
पीएम की यात्रा को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने पूरे राज्य में हाई अलर्ट घोषित किया है।
- सेना, असम राइफल्स और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने सुरक्षा समीक्षा बैठक की है।
- खासतौर पर Churachandpur, Bishnupur और Imphal जिलों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
- UNC के trade embargo और Meitei समूहों के shutdown की वजह से स्थिति को संभालना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।
राज्य में माहौल
- कुकी इलाके में खुशी और उम्मीद का माहौल है क्योंकि लोग चाहते हैं कि पीएम उनके मुद्दों को सुनें और उन्हें अलग प्रशासन देने पर विचार करें।
- मीतई इलाके में गुस्सा और विरोध है क्योंकि कई लोग मानते हैं कि केंद्र सरकार ने हिंसा के दौरान घाटी के लोगों के साथ न्याय नहीं किया।
- नागा क्षेत्रों में FMR और border fencing का मुद्दा सबसे बड़ा विवाद है।
नतीजा क्या हो सकता है
पीएम मोदी के इस दौरे से मणिपुर की राजनीति और शांति प्रक्रिया पर बड़ा असर पड़ सकता है।
- अगर प्रधानमंत्री विस्थापित लोगों के लिए बड़ा पैकेज और समाधान पेश करते हैं, तो यह राज्य के लिए नई शुरुआत हो सकती है।
- लेकिन अगर समुदायों की मांगें पूरी नहीं हुईं, तो तनाव और बढ़ सकता है।
मणिपुर का यह दौरा सिर्फ प्रधानमंत्री की यात्रा नहीं, बल्कि एक test case है कि सरकार राज्य में शांति और विकास लाने के लिए कितनी गंभीर है।
जहां कुकी समुदाय उम्मीद लगाए बैठा है, वहीं मीतई और नागा समुदाय के विरोध से साफ है कि चुनौतियां अभी भी कम नहीं हुई हैं।