पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि इस साल आई बाढ़ पिछले 37 सालों में सबसे भयानक रही है और इसे और भी गंभीर बनाने की ज़िम्मेदारी भारत सरकार और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) पर जाती है।
गोयल ने कहा कि अगर BBMB ने जून में समय रहते बांधों से ज़रूरी पानी छोड़ दिया होता, तो बाढ़ का असर काफी कम किया जा सकता था। उन्होंने दुख जताया कि पंजाब की इतनी बड़ी आबादी बाढ़ से प्रभावित होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न तो अब तक कोई सहायता दी और न ही इस स्थिति पर एक शब्द बोला।
मंत्री ने हरियाणा सरकार के रवैये पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि एक तरफ हरियाणा मदद का पत्र भेजता है और दूसरी तरफ अपने हिस्से का पानी 7,900 क्यूसेक से घटाकर 6,250 क्यूसेक कर देता है ताकि खुद को बाढ़ से बचा सके। “दरअसल हरियाणा ने पंजाब को उसकी किस्मत पर छोड़ दिया है,” गोयल ने कहा।
उन्होंने आगे बताया कि निजी कंपनी लेवल 19 बिज़ प्राइवेट लिमिटेड ने माधोपुर हेडवर्क्स के गेटों की क्षमता का गलत आकलन किया। कंपनी ने दावा किया था कि गेट 6.25 लाख क्यूसेक पानी संभाल सकते हैं, लेकिन हकीकत में वे आधा पानी भी झेल नहीं पाए और टूट गए। इससे न सिर्फ़ बाढ़ और बढ़ गई बल्कि विभाग के एक कर्मचारी की मौत भी हो गई। इस मामले में कंपनी को नोटिस भेजा गया है और कार्रवाई शुरू हो चुकी है।
गोयल ने कहा कि पंजाब को इस बार की बाढ़ ने 1988 की बाढ़ से भी ज्यादा तबाह किया। उस वक्त रावी नदी में 11.20 लाख क्यूसेक पानी था, जबकि इस बार यह आंकड़ा 14.11 लाख क्यूसेक तक पहुँच गया। इसमें हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और पंजाब के खड्डों-नालों से आया अतिरिक्त पानी भी शामिल रहा, जिसने रावी, ब्यास और सतलुज नदियों के ज़रिए सात ज़िलों को डुबो दिया। इसका सीधा असर किसानों की खड़ी फसलों, पशुओं और घरों पर पड़ा।
राहत और बचाव कार्य
मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में समय रहते रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए गए। अब तक 11,330 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकालकर 87 राहत कैंपों में शिफ्ट किया गया है, जहाँ उन्हें खाना, दवाइयाँ और रहने की सुविधा दी गई है। NDRF, SDRF और सेना की मदद से 110 लोगों को एयरलिफ्ट भी किया गया।
पशुओं के लिए भी सरकार ने विशेष इंतज़ाम किए। फ़िरोज़पुर और फ़ाज़िल्का में उन्हें मार्केट कमेटी शेड्स और राहत आश्रयों में रखा गया है, जहाँ चारे का पूरा इंतज़ाम है। गोयल ने कहा – “इंसान तो मदद मांग सकते हैं, लेकिन जानवर नहीं। इसलिए हमने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी पशु उपेक्षित न रहे।”
विपक्ष को संदेश
विपक्ष के आरोपों पर मंत्री ने कहा कि यह राजनीति करने का समय नहीं है बल्कि सबको मिलकर पंजाब की मदद करनी चाहिए। उन्होंने ज़ोर दिया कि राज्यों को नुकसान का आकलन और राहत फंड बाँटने का अधिकार मिलना चाहिए क्योंकि असली स्थिति की जानकारी राज्यों को ही होती है।