पंजाब ने हमेशा अपने किसानों और पशुधन (livestock) को सुरक्षित रखने में मिसाल कायम की है। हाल ही में आई भारी बाढ़ ने राज्य को गहरी चोट दी। कई गांव पानी में डूब गए, लोग और पशु दोनों फंस गए। ऐसे में पंजाब सरकार ने तेजी से कदम उठाते हुए न सिर्फ इंसानों को बचाया बल्कि बेजुबान पशुओं की सुरक्षा को भी अपनी पहली जिम्मेदारी माना।
इस दौरान सबसे बड़ी चुनौती ‘गल-घोटू’ बीमारी को फैलने से रोकना थी। गल-घोटू एक खतरनाक बीमारी है जो खासतौर पर गाय, भैंस और अन्य पालतू पशुओं में फैलती है। इसमें पशु की सांस की नली सूज जाती है, जिससे उसका दम घुटने लगता है। अगर समय पर इलाज न मिले तो यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है और किसानों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा सकती है।
बाढ़ में फंसे 5 लाख से ज्यादा पशुओं की जान बचाई
बाढ़ के दिनों में सरकार ने बड़े पैमाने पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया।
- ड्रोन और नावों की मदद से खेतों और घरों की छतों पर फंसे हुए पशुओं को ढूंढकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
- सिर्फ इंसानों को ही नहीं, बल्कि 5 लाख से ज्यादा पशुओं को भी बचाया गया।
- बचाए गए पशुओं के लिए खाने-पीने और मेडिकल सुविधा का भी पूरा इंतजाम किया गया।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि “हमारी सरकार हर जीव की सुरक्षा के लिए काम करती है। पंजाब के पशु, किसानों की कमाई और खेती-बाड़ी का अहम हिस्सा हैं। जब हम पशुओं को बचाते हैं, तो दरअसल हम पंजाब के भविष्य को बचाते हैं।”
गल-घोटू से बचाने के लिए टीकाकरण अभियान
बाढ़ का पानी उतरने के बाद गल-घोटू बीमारी फैलने का खतरा सबसे बड़ा था। इसे रोकने के लिए पंजाब सरकार ने 14 सितंबर से टीकाकरण (vaccination) अभियान शुरू किया।
- सिर्फ 7 दिन में,
- 713 गांवों में,
- 1.75 लाख से ज्यादा पशुओं को गल-घोटू का टीका लगाया गया।
पशुपालन मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने बताया कि यह टीकाकरण अभियान न सिर्फ पशुओं की जान बचाने के लिए है, बल्कि हजारों किसान परिवारों की रोज़ी-रोटी और भविष्य की कमाई को भी सुरक्षित करने के लिए है।
कौन-कौन से जिले प्रभावित हुए
यह अभियान खासतौर पर उन जिलों में चलाया गया जो बाढ़ और गल-घोटू से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे:
अमृतसर, फाजिल्का, फिरोजपुर, गुरदासपुर, होशियारपुर, जालंधर, कपूरथला, मोगा, पठानकोट, रूपनगर और तरनतारन।
सरकार की और पहलें
पंजाब सरकार ने सिर्फ टीकाकरण तक ही सीमित न रहकर कई और कदम उठाए हैं:
- मोबाइल पशु चिकित्सा गाड़ियां (Mobile Vet Vans) शुरू की गईं।
- जरूरतमंद किसानों को मुफ्त दवाएं दी जा रही हैं।
- जागरूकता कार्यक्रम और वर्कशॉप्स आयोजित किए जा रहे हैं।
- जिनमें किसानों को गल-घोटू बीमारी की पहचान, बचाव और देखभाल की जानकारी दी जा रही है।
इसके अलावा, पशुओं के लिए अस्थायी शेल्टर और खुराक की सप्लाई की भी व्यवस्था की गई है, ताकि कोई भी पशु भूखा या बीमार न रहे।
भविष्य के लिए मजबूत सिस्टम की तैयारी
पंजाब सरकार का यह अभियान सिर्फ मौजूदा संकट को हल करने के लिए नहीं है, बल्कि भविष्य के लिए एक मजबूत सिस्टम तैयार करने का प्रयास भी है।
- ताकि किसी भी प्राकृतिक आपदा या बीमारी के समय तेजी से कार्रवाई की जा सके।
- किसानों को कम से कम नुकसान हो और उनकी खेती-बाड़ी की सुरक्षा बनी रहे।
पशुपालन मंत्री ने यह भी कहा कि आने वाले समय में हर जिले में तेजी से रेस्पॉन्स टीम तैयार की जाएगी जो किसी भी आपात स्थिति में तुरंत काम कर सके।
पंजाब सरकार का यह कदम दिखाता है कि यह सिर्फ “लोगों की सरकार” नहीं, बल्कि एक “सेवक सरकार” है। जो इंसानों के साथ-साथ बेजुबान पशुओं की सुरक्षा को भी उतनी ही अहमियत देती है।
इस अभियान ने न सिर्फ लाखों पशुओं की जान बचाई है, बल्कि हजारों किसानों को भारी नुकसान से भी बचाया है।
आज पंजाब के किसान और पशु दोनों ही सुरक्षित हैं क्योंकि सरकार ने समय पर तेजी और जिम्मेदारी से कदम उठाए।