पंजाब में हाल ही में आई बाढ़ से हुए नुकसान के बाद काउंसिल ऑफ लॉयर्स ने जनहित याचिका (PIL) दायर की थी। यह याचिका पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में 1 अक्टूबर 2025 को सुनी गई।
हाईकोर्ट ने इस सुनवाई में पंजाब सरकार और अन्य संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा पेश किए गए सुझावों पर फौरन कार्रवाई की जाए। याचिका में सरकार से यह भी कहा गया कि हाईकोर्ट की देखरेख में एक तीन सदस्यीय SIT बनाई जाए, जिसमें कोई सेवानिवृत्त या कार्यरत हाईकोर्ट जस्टिस अध्यक्ष हों।
एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य, अभिषेक मल्होत्रा और ईशान भारद्वाज ने बताया कि याचिका को डिस्पोज कर दिया गया है, लेकिन सरकार को निर्देश दिए गए हैं कि वे तुरंत कार्रवाई करें। अगर सरकार द्वारा कार्रवाई नहीं की गई तो फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
याचिका में उठाए गए मुख्य बिंदु:
- गिरदावरी रिकॉर्ड अपडेट: सरकार को भूमि रिकॉर्ड तुरंत अपडेट करना चाहिए, ताकि किसानों के नुकसान का सही आकलन किया जा सके।
- उचित मुआवजा: पंजाब राजस्व संहिता के अनुसार, किसानों को फसल के नुकसान का उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।
- ड्रोन सर्वेक्षण: नुकसान का और सटीक आकलन करने के लिए ड्रोन सर्वेक्षण कराया जाए।
- कर्ज माफी: बाढ़ से प्रभावित किसानों के ट्रैक्टर और किसान क्रेडिट कार्ड ऋण माफ किए जाएँ।
- शिकायत निवारण पोर्टल: किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए एक समर्पित ऑनलाइन पोर्टल बनाया जाए।
- राहत उपाय: गुरदासपुर, पठानकोट, तरनतारन, फाजिल्का, फिरोजपुर, होशियारपुर, जालंधर और लुधियाना जैसे प्रभावित जिलों में प्रभावी राहत उपाय लागू किए जाएँ।
- कार्रवाई रिपोर्ट: पंजाब सरकार को हाईकोर्ट में अपनी कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट पेश करनी चाहिए।
क्यों है यह याचिका खास:
काउंसिल ऑफ लॉयर्स के अध्यक्ष वासु रंजन शांडिल्य ने बताया कि यह याचिका किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि उन्हें आर्थिक नुकसान और निराशा के कारण आत्महत्या से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से गिरदावरी रिकॉर्ड अपडेट न करना और ठोस राहत उपाय न करना इस याचिका को दायर करने की वजह बनी।
शांडिल्य ने यह भी कहा कि काउंसिल ऑफ लॉयर्स निस्वार्थ भाव से किसानों की मदद के लिए यह लड़ाई जारी रखेगी और उन्हें न्याय दिलाने में हाईकोर्ट का पूरा समर्थन मिलेगा।
पंजाब हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि वह किसानों को समय पर राहत और मुआवजा सुनिश्चित करे। याचिकाकर्ता यह चाहते हैं कि SIT के जरिए नुकसान का सही आकलन और दोषियों की पहचान की जाए। यह याचिका किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण लड़ाई बन चुकी है।