Chandigarh PGI में 90 Crore का Salary Pending, JAC ने लगाया ESMA Violation का आरोप, FIR दर्ज करने की मांग

चंडीगढ़ के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGI) में काम करने वाले कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों का गुस्सा अब चरम पर पहुंच गया है। इन कर्मचारियों का करीब 90 करोड़ रुपए का वेतन पिछले कई सालों से अटका हुआ है। यही नहीं, कर्मचारियों का आरोप है कि PGI प्रशासन ने ESMA कानून का गलत इस्तेमाल कर उन्हें दबाने और उनका हक मारने का काम किया है।

इस मामले को लेकर ज्वाइंट एक्शन कमेटी (JAC) ने चंडीगढ़ पुलिस के डीजीपी को शिकायत दी है और PGI के अधिकारियों पर FIR दर्ज करने की मांग की है।

4000 से ज्यादा कर्मचारियों की तनख्वाह अटकी

PGI में 4000 से ज्यादा कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं।

  • 2010 से 2025 तक कर्मचारियों का करीब 90 करोड़ रुपए बकाया है।
  • इस दौरान कर्मचारियों को करीब 60 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है।
  • अभी भी 90 करोड़ रुपए की तनख्वाह नहीं मिली है।

कर्मचारियों का कहना है कि इतनी बड़ी रकम न मिलने के कारण उनके घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई, और इलाज सब प्रभावित हो रहे हैं।

JAC की बड़ी कार्रवाई – FIR की मांग

कर्मचारियों के हक की लड़ाई लड़ रही ज्वाइंट एक्शन कमेटी (JAC) ने इस मामले को लेकर बड़ा कदम उठाया है।

  • JAC ने चंडीगढ़ पुलिस के डीजीपी को शिकायत दी
  • शिकायत में PGI अधिकारियों पर हरियाणा ESMA 1974 की धारा 7(1) के तहत FIR दर्ज करने की मांग की गई है।
  • JAC का कहना है कि PGI प्रशासन ने ESMA कानून का गलत इस्तेमाल किया है।
  • इस कानून का मकसद स्वास्थ्य सेवाओं में बाधा न आने देना होता है,
    लेकिन इसे कर्मचारियों की आवाज दबाने और उनकी तनख्वाह रोकने के लिए गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया।

ESMA कब और कैसे लागू हुआ

  • 11 अगस्त 2025 को चंडीगढ़ के चीफ सेक्रेटरी ने एक अधिसूचना जारी की।
  • इसके तहत PGI में ESMA को 6 महीने के लिए लागू किया गया।
  • यह कदम हरियाणा ESMA 1974 की धारा 4(A) के तहत उठाया गया।

JAC का आरोप:

  • ESMA लागू होने के बाद कर्मचारियों की परेशानियां और बढ़ गईं।
  • इस कानून का प्रयोग मजदूरों को डराने-धमकाने और उनकी सैलरी रोकने के लिए किया गया।
  • प्रशासन ने इसे मजदूरों के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल किया।

कानून और सरकारी आदेश की अनदेखी

JAC ने आरोप लगाया कि PGI प्रशासन ने कानून और सरकारी आदेशों की पूरी तरह अनदेखी की है।

  1. हरियाणा ESMA की धारा 6 और 7 के मुताबिक:
    • नियोक्ता यानी PGI प्रशासन किसी कर्मचारी के साथ मनमानी या गैरकानूनी कार्रवाई नहीं कर सकता।
  2. भारत सरकार की अधिसूचना – 9 अक्टूबर 2018:
    • कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के बराबर वेतन देने का आदेश।
  3. हाईकोर्ट आदेश – 13 मार्च 2019:
    • कोर्ट ने भी आदेश दिया था कि कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को समान वेतन दिया जाए।

JAC का आरोप:
इन सबके बावजूद PGI प्रशासन ने इन आदेशों का पालन नहीं किया और
कर्मचारियों की 90 करोड़ रुपए की सैलरी अब तक अटकी हुई है।

कर्मचारियों की परेशानी

  • कई कर्मचारियों को महीनों से सैलरी नहीं मिली।
  • घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है।
  • बच्चों की स्कूल फीस नहीं भर पा रहे।
  • बीमार होने पर इलाज कराने के पैसे नहीं हैं।

कर्मचारियों का कहना है कि अगर जल्द उनका बकाया नहीं दिया गया तो उन्हें आंदोलन करना पड़ेगा।

PGI प्रशासन की चुप्पी

इस पूरे मामले पर जब PGI प्रशासन से बात की गई तो उन्होंने किसी भी टिप्पणी से इंकार कर दिया।
प्रशासन की चुप्पी ने कर्मचारियों की नाराजगी और बढ़ा दी है।

मामले का सारांश

मुद्दा जानकारी
बकाया कर्मचारियों की संख्या 4,000+
कुल बकाया राशि ₹90 करोड़
अब तक दिया गया भुगतान ₹60 करोड़
ESMA लागू करने की तारीख 11 अगस्त 2025
ESMA लागू रहने की अवधि 6 महीने
JAC की मुख्य मांग ESMA की धारा 7(1) के तहत FIR दर्ज हो
मुख्य आरोप ESMA का गलत इस्तेमाल और मजदूरों की तनख्वाह रोकना

 

PGI के 4000 से ज्यादा कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी पिछले कई सालों से अपने हक और बकाया वेतन के लिए लड़ रहे हैं।
JAC का कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई और प्रशासन ने आदेशों का पालन नहीं किया, तो यह मामला बड़ा आंदोलन और कानूनी कार्रवाई का रूप ले सकता है।

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