Punjab में बाढ़ का कहर: 7 Lakh लोग बेघर, ‘Mission Chardikala’ से Government देगी नई उम्मीद

कल्पना कीजिए कि एक रात में आपका घर, आपकी मेहनत और आपके सपने सबकुछ पानी में बह जाएं। यही दर्दनाक हालात आज पंजाब के लाखों लोग झेल रहे हैं। इस बार की बाढ़ ने पंजाब में तबाही मचाकर रख दी है।

पंजाब के करीब 2,300 गांव बाढ़ की चपेट में आए हैं। 20 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें से 7 लाख लोग बेघर हो चुके हैं। अब तक 56 लोगों की मौत हो चुकी है। लाखों लोग अपने घर-बार छोड़कर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। यह बाढ़ पिछले चार दशकों (40 साल) में पंजाब की सबसे भयानक बाढ़ मानी जा रही है।

फसल और स्कूलों को भारी नुकसान

इस बाढ़ ने न सिर्फ घर उजाड़े बल्कि किसानों की मेहनत भी मिट्टी में मिला दी।

  • 5 लाख एकड़ फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है।
  • 3,200 सरकारी स्कूल नुकसान की चपेट में आए हैं।
  • शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक अब तक करीब 13,800 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है।

लेकिन असल दर्द इन आंकड़ों से कहीं ज्यादा गहरा है। ये सिर्फ़ नंबर नहीं हैं, ये उन असली ज़िंदगियों की कहानियां हैं जिनके सपने पानी में बह गए।

वीरो बाई की कहानी

फाज़िल्का ज़िले के गुड्डर भैणी गांव की 45 वर्षीय वीरो बाई इस तबाही की गवाह हैं। 26 अगस्त को जब सतलुज नदी का पानी उनके घर में घुसा, तो लगभग तीन फुट पानी भर गया। मजबूर होकर उन्होंने अपना सबकुछ छोड़कर परिवार के साथ गांव छोड़ दिया। तब से वह एक राहत शिविर में रह रही हैं।
वीरो बाई कहती हैं,
हमने अपनी छोटी-बड़ी सभी चीजें पीछे छोड़ दीं। बस जान बचाकर भागे। अब सिर्फ इंतज़ार है कि कब घर वापस लौट पाएंगे।”

वीरो बाई जैसी हजारों कहानियां पंजाब के अलग-अलग राहत शिविरों में मौजूद हैं।

सरकार की त्वरित कार्रवाई

इस संकट के समय पंजाब सरकार ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किए।

  • मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में सरकारी टीमें दिन-रात काम कर रही हैं।
  • हज़ारों लोगों को सुरक्षित निकाला गया।
  • राहत शिविर, खाना, पीने का पानी, दवाइयों की व्यवस्था की गई।
  • अधिकारी और कर्मचारी अपनी जान की परवाह किए बिना बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं।

सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया ने यह साबित किया कि मुश्किल वक्त में पंजाब सरकार जनता के साथ खड़ी है।

मिशन चढ़दी कला: पंजाब को फिर से खड़ा करने का संकल्प

अब जब बाढ़ का पानी धीरे-धीरे उतर रहा है, असली चुनौती शुरू हुई है — पुनर्निर्माण की चुनौती
इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मिशन चढ़दी कला’ की शुरुआत की है।

ये सिर्फ़ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि पंजाब के पुनर्निर्माण का संकल्प है।
इस मिशन का मकसद है:

  • बेघर हुए लोगों के लिए नए घर बनाना।
  • किसानों को दोबारा खेती शुरू करने में मदद करना।
  • स्कूलों को फिर से तैयार करना।
  • बच्चों को पढ़ाई के लिए स्कूल भेजना।
  • बाढ़ पीड़ितों के जीवन को पटरी पर लाना।

मुख्यमंत्री ने कहा,
बाढ़ सिर्फ़ पानी नहीं लेकर आई, यह लाखों सपनों को बहा ले गई। लेकिन हम सब मिलकर इन सपनों को दोबारा जगा सकते हैं।”

जनता से सहयोग की अपील

सरकार अकेले यह काम नहीं कर सकती। इसके लिए जनता का सहयोग जरूरी है।
मिशन चढ़दी कला के तहत लोग डोनेशन (दान) कर सकते हैं।

  • चाहे आप ₹100 दें या ₹10,000, हर योगदान मायने रखता है।
  • आपका छोटा सा योगदान किसी बच्चे को स्कूल वापिस भेज सकता है।
  • किसी मां को दोबारा रसोई जमाने में मदद कर सकता है।
  • या किसी बुज़ुर्ग को दवा दिला सकता है।

सरकार ने साफ कहा है कि हर दान की गई राशि का पारदर्शी तरीके से इस्तेमाल किया जाएगा

क्यों जरूरी है यह मदद

आज भी 7 लाख लोग बेघर हैं।
उनके पास न रहने को घर है, न खाने को पर्याप्त साधन।
आपका योगदान उनके लिए उम्मीद की किरण बन सकता है।
यह सिर्फ़ पैसा नहीं, बल्कि मानवता और भाईचारे का संदेश होगा।

जैसा कि कहा जाता है,
प्रकृति की मार से भले ही इमारतें गिर जाएं, लेकिन इंसानियत और भाईचारा कभी नहीं गिरता।”

मिशन चढ़दी कला पंजाब के लिए सिर्फ़ पुनर्निर्माण का रास्ता नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि पंजाबियत का असली मतलब क्या है — मुश्किल वक्त में एक-दूसरे का साथ देना।

आइए, सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हों और अपने छोटे-से कदम से किसी की पूरी ज़िंदगी बदल दें।
पंजाब को फिर से खड़ा करें, उसकी शान लौटाएं और दुनिया को दिखाएं कि चढ़दी कला की भावना आज भी जिंदा है।

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